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संक्रांति का पैगाम-विवेक कुमार

Vivek

संक्रांति का पैगाम

होशियार खबरदार………..
आ गया मकर संक्रांति का त्योहार,
सभी पर्वों से अलग, अनूठा, अनोखा,
दिलाता एक सुंदर एहसास,
तिल संक्रांति, खिचड़ी पर्व नाम से, यह है जाना जाता,
प्रत्येक 14 या 15 जनवरी को, सुनाता एक पैगाम,
गम के अधियारों की घटा हटाकर, करो एक नई शुरुआत,
मकर संक्रांति अर्थ बताता, देता एक संकेत,
सूर्य का एक राशि से, दूसरी राशि में गोचर का, कराता है भान,
इस वैदिक उत्सव में, करते सब दान,
खिचड़ी भोग का, इस दिन होता है मान,
भिन्न भिन्न जगहों पर, भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता, बड़े ही शान,
दही, चूरा, तिल, गुड़ का पान, होता बड़ा अभिमान,
नए साल में संग लाती, सुख शांति और समृद्धि की आस,
पतंग उड़ाने की प्रथा बनाती, इसे और भी खास,
शुभ संदेश का होता वाहक, लाता सबको पास,
करता एक नई ऊर्जा का अद्भुत संचार,
आओ मिलकर संग मनाएं, खुशियों का त्योहार,
करें एक नई शुरुआत, लाए जीवन में खुशियां अपार।

विवेक कुमार
( स्वरचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर (बिहार)

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