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सरस्वती वंदना-अशोक कुमार

सरस्वती वंदना

माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रहे हो।
किस मंजू ज्ञान से तुम
जग को लुभा रही हो।।

हे श्वेत वस्त्र धारणी,
हंस पे सवार होकर।
‌‌ ‌‌ सत्य असत्य से तुम,
‌ पहचान करा रही हो।।
हे माँ बागेश्वरी,
हंस पर सवार होकर।
दूध पानी को अलग कर दें,
मुझ में सत्यता को भर दे।।

हे माँ भारती,
करुणा के सागर है तू।
सारा विकार दूर कर,
मुझ में भी ज्ञान भर दे।।

बीच मझधार में पड़ी नैया,
तुम बन जा पतवार।
हम ना समझी बोध बालक,
आकर पार लगा दे।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
‌‌नुआव कैमुर

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