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सरस्वती वंदना-नूतन कुमारी

सरस्वती वंदना

हे हंसवाहिनी! हे ज्ञानदायिनी!
विद्या का वर दे…
सद्बुद्धि का संचार कर,
अज्ञानता दूर कर दे।

हे वीणावादिनी! हे हंसासीनी !
ज्ञान का वर दे…
अम्ब विमल मति दे,
हृदय में साहस, शील भर दे।

हे विश्व की संचालिनी!
करुणा का वर दे…
गति-मति अवरुद्ध न हो,
मन को प्रेम से भर दे।

हे मां भारती! हे ब्रह्मचारिणी!
लज्जा का वर दे…
उलझें न कभी संसार में,
स्वाभिमान भर दे।

हे चंद्रकांति! हे मां सरस्वती!
सदाचार का वर दे…
बसो मेरे अंर्तमन में,
सत्य, स्नेह भर दे।

हे वरदायिनी! हे मां जगती!
मीठा सा स्वर दे…
मन में मिठास घोले जो,
ऐसी वाणी भर दे।

हे मां शारदे! हे भुवनेश्वरी!
मन निर्मल कर दे…
देकर तू आशीष अनुपम,
जग को तार दे।

हे बुद्धिदात्री! हे कुमुदी!
चमत्कार कर दे…
हर ले सारे दुख दरिद्र,
झोली खुशियों से भर दे।

हे कामरुपा! हे महामाया!
श्रीपदा, वरप्रदा, महापातक नाशिनी,
हे शिवा! हे विन्ध्यवासा! हे चण्डिका!
हे कालरात्रि! हे रुपसौभाग्यदायिनी!

हे ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका!
अनेक तेरे नाम हे देवी!
हर रुप मां तेरी सौम्य है,
दूर करती तू अज्ञान हे देवी!

स्वरचित व मौलिक
नूतन कुमारी 
पूर्णियाँ बिहार

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