शांति के फरिश्ते हैं हम
शांति सागर की संतान हैं, हम
खुशियों भरा है, जीवन हरदम
शांति के प्रकंपन, फैलाएं हम
शांति के फरिश्ते हैं, हम।
खुश रहना और खुशी बांटना ही, है हमारा कर्म
विश्व शांति ही, है हमारा, सर्वोपरि धर्म
नैनों से बरसती, हमारे शीतलता
आचरण से सदा हमारे, प्रेम छलकता
देखे सदा सबकी, विशेषता
पर्वत सी है हम में, गंभीरता
निःस्वार्थ प्रेम का झरना, यूं ही बहता रहे
प्रेम के रंगों से यह संसार, सदा सजता रहे
हम शांति के फरिश्ते, निकल पड़े हैं
विश्व शांति का, पैगाम लिए
हृदय में अपने,
सृष्टि परिवर्तन का, अरमान लिए
धरती मां भी प्यार से हमें, निहारती
प्यासी धरा पल पल हमें, पुकारती
आ गए हैं हम, मानव को मानव बनाने
सृष्टि को प्रेम और खुशियों के, रंगों से सजाने
शांति सागर की, संतान है हम
खुशियों भरा है, जीवन हरदम
शांति के प्रकम्पन, फैलाए हम
शांति के फरिश्ते हैं, हम।
ब्रम्हाकुमारी मधुमिता
पूर्णिया बिहार