Site icon पद्यपंकज

शरद का चाँद-नूतन कुमारी

Nutan

शरद का चाँद

आज पूर्णिमा शरद की आई,
चाँद ने अपनी छटा बिखराई,
गगन से अमृत बरस रहा है,
प्रकृति ने भी यूँ ली अंगराई।

सोलह कलाओं से युक्त चंदा,
रुपहली औ मनमोहक लगते,
ओढ़ तारों की भींगी चदरिया,
निहारु राह तो इतराने लगते।

आज खुशी से झूम उठा मन,
आज की बेला अद्भुत पावन,
प्रेम सुधा में भींग गए सब,
अमृत बरसे यूँ बनके सावन।

खीर बनाकर रखें छत पर,
प्रातः ग्रहण करें निज उठकर,
बाँटे प्रेम और पूनम का प्रसाद,
रहूं सदा स्वस्थ यह विनती कर।

चंदा की रौनक पहुंची चरम पर,
चाँदनी में नहलाई संपूर्ण सृष्टि,
तन के साथ मन भी शीतल करें,
दे चंदा की चाँदनी मन को तृप्ति।

नूतन कुमारी
पूर्णियाँ, बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version