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सर्दी आई-मधु कुमारी

Madhu

सर्दी आई

आ गई अब सर्दी भाई
निकल गई सबकी रज़ाई
जब ठंडी हवा चले मस्तानी
    याद आ जाए तब नाना नानी…..

गर्मी भागी सर्दी धमक आई
चारों ओर घोर कुहासा छाई
मीठी धूप लेने लगी अंगड़ाई
      अंधेरा घना कोहरा खूब छाई..….

अम्बर ने खूब ओस बरसाई
मौसम भी दुल्हन सी शरमाई
जले अलाव हर घर अंगनाई
     हाय री ! सर्दी तू बड़ा हरजाई…..

ए० सी० पंखों ने अब फुरसत पाई
चादर-स्वेटर-टोपी की बारी आई
सूरज दादा की हुई सर्दी से लड़ाई
      खेले खूब संग उसके छुप्पम छुपाई……

अदरक वाली चाय सबको याद आई
कॉफ़ी की भी होने लगी खूब बड़ाई
संग इसके सबने रोज़ उत्सव मनाई
सर्दी में बजने लगी हर घर शहनाई
ठिठुर ठिठुर कर बच्चे-बूढ़े बोले
    सर्दी आई, सर्दी आई……

मधु कुमारी
कटिहार

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