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Student – NIGAM KUMARI

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हिंदी और हिंद यही हमारी पहचान रहे ,

सादगी और मधुरता से भारी महफूज हमारी मां रहे।

हिंदी से अपनत्व , भावनाओं का संगम,   2

महज भाषा नहीं ,

हम हिंदुस्तानियों का है गहना, 

कर्म हमारा ,धर्म हमारा इसे संभाले रखना |

मां भारती की आशा है हिंदी,

हमारे संस्कृति की गौरव गाथा है हिंदी,

भाषाओं का आधार, हम सब का अभिमान है हिंदी|

असंख्य है इसके उपकार, 

जो पूर्वजों से मिला है तुम्हे उपहार ,

संभालो इसे जिससे  मले भविष्य को भी अपनी पहचान।

यह गहना है, बनाओ इसे गले का हार।

बेशक सभी भाषा का हमें जान रहे,             देश का सम्मान है हिन्दी, हिन्दी का मान रहे ।

केवल भाषा नहीं, भावों का भवसागर है।

गुलामी का दामन छोड़ो,

संस्कृति है तुम्हारा जो ,वही  तुम्हारी पहचान रहे, 

सादगी और मधुरता से भारी महफूज़ हमारी मां रहे…………. हिंदी ❤️

2025-09-13

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