स्वच्छता अभियान
गाँधी जी का था यह कहना,
रोग मुक्त यदि है रहना।
स्वच्छता जीवन में अपनाओ,
यह मूल मंत्र है भाई, बहना।
नित्य कपड़ों की करो धुलाई,
घर, आंगन की करो सफाई।
तन, मन सुन्दर हो जाएगा,
जग में तेरी होगी बड़ाई।
जल्दी उठो सुबह में सो कर,
साबुन से हाथ-मुंह धोकर।
तरोताजा जब हो जाओगे,
काम करोगे तुम खुश होकर।
सुबह उठकर नित्य करो स्नान,
साफ सफाई का रखो ध्यान।
रोग मुक्त तुम हो जाओगे,
यदि समय से करो जलपान।
परिश्रम तुम करो भरपूर,
रोग रहेगा कोसों दूर।
स्वस्थ हमेशा रह पाओगे,
सुखी जीवन यदि है मंजूर।
जिसने स्वच्छता को अपनाया,
रोग निरोधक क्षमता पाया।
बड़ा धनवान वही है जग में,
जिसको मिला निरोगी काया।
सफाई में जो आलस्य करता है,
पास रहने से सब डरता है।
डाक्टर उसके मित्र बन जाते,
रोग, बिमारी से मरता है।
स्वच्छता हो हम सब की गान,
जन जन की हो यह अभियान।
सुखी जीवन तब जी पाएँगे,
स्वस्थ रहेगा यह हिन्दुस्तान।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि
म. वि. बख्तियारपुर
(पटना)