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स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा-मनु कुमारी

Manu

स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा

स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा है अपना परिवार।
प्रेम, स्नेह, एकता से लगता है सुन्दर घर संसार।।

किसी का साथ न छूटे भले कुछ पल हम रूठें।
परिवार को माना मैंने अपने जीवन का आधार।।

हर कर्म उन्हीं से जुड़े हैं वही खुशियों का संसार।
बच्चों की किलकारी से होता हर आंगन गुलजार।।

प्रथम गुरु माता-पिता होते हैं सुनो मेरे भाई।
परिवार रूपी पाठशाला में हमने है शिक्षा पाई।।

त्याग, भाईचारे से सुन्दर लगता है हर घर द्वार।
किसी का साथ न छूटे भले कुछ पल हम रूठें।।

मान, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन भाई।
दादा-दादी और पिता से मैंने यह गुण पाई।।

मर्यादा की पाठ है हमने लिया जीवन में उतार।
किसी का साथ न छूटे भले कुछ पल हम रूठें।

परिवार से बढ़कर जीवन में है नहीं कोई धन मेरे भाई।
माँ की ममता सा जग में कोई विकल्प नहीं मेरे भाई।।

भाई होता सुख-दुख का साथी और पिता उत्तम सलाहकार।
किसी का साथ न छूटे भले कुछ पल हम रूठें।।

स्वरचित:-
मनु कुमारी
मध्य विद्यालय सुरीगाँव,
बायसी, पूर्णियाँ, बिहार

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