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तेरी ही तो अक्स हूँ माँ-अपराजिता कुमारी

तेरी ही तो अक्स हूँ माँ

जननी, जीवनदायिनी माँ
धैर्य धरा सी, अटल पर्वत सी
सामर्थ सागर सा, तुझ में,
माँ

सृजन, सहन, क्षमा, दया
करुणा, ममता, त्याग
की प्रतिमूर्ति,
माँ

चंदन सी शीतलता ,
मखमली कोमलता
फूलों सी मोहकता
तुझ में
माँ

फरिश्तों सा फिक्र
हर पल मेरा जिक्र
क्यों करती रहती,
माँ

दुखों की धूप में,
ममता का रस बरसाती,
स्नेह सुख के आंचल की,
छांव कर देती,
माँ

मेरी आँखों को पढ़ लेती,
बिन बोले सब जान जाती,
बिन मांगे सब दे देती,
सब ऐसी ही होती,
माँ

मेरी आहट से जग जाती ,
तेरी दुआएँ साथ में चलती
हर गुनाह माफ कर देती,
माँ

बिन तेरे, सब सूना-सूना
रसोई, आंगन घर बार सूना
जग सूना, जीवन सूना है,
माँ

माँ है तो जीवन, 
बिन तेरे सब जीवन सूना,
तेरी जगह न ले सके कोई,
माँ

माँ है जीवन, 
जीवन है माँ,
मैं तुझ में, तू मुझ में, माँ
तेरी ही तो अक्स हूँ, 
माँ।

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय जिगना जग्रनाथ हथुआ गोपालगंज

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