तू विगत दिनों की बात मत कर
तू विगत दिनों की बात मत कर,
और संक्रामक भविष्य की आयात मत कर।
सोचो कितना सुंदर सा है वक़्त,
तो इस वक़्त की आघात मत कर।
तू इस विखरती हुई दुनियाँ को देख,
उसकी तरह अपनों से उत्पाद मत कर।
नज़र आवाम की कब से टंगी है तुम पे,
तू कमजोर अपनी हालात मत कर।
इस अनमोल जिंदगी का क्या भरोसा,
अपनी तुच्छ आकांक्षाओ की बरसात मत कर।
प्रेम से बांधो जगत को, सत्य को अपनाकर,
दुनिया बनेगी खुशहाल, अजय कहता विचार कर।
अजय कुमार
+2 प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय बरदाहा
सिकटी अररिया
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