Site icon पद्यपंकज

वीर सपूत-नूतन कुमारी

वीर सपूत

अब उठो देश के वीर सपूतों,
जग में कुछ ऐसा काम करो,
चहुँ ओर फैले ख्याति तुम्हारी,
उठो! न तुम आराम करो।

कर्म से पहले फल नहीं मिलता,
अपने कर्तव्य का भान करो,
फैला जो हलाहल विश्व में,
तुम “नीलकंठ” बन पान करो।

आलस्य का परित्याग कर,
कोमल शैय्या से जाग कर,
अपने लक्ष्य को तुम साध कर,
अपने पथ पर तुम अचल रहो।

तुम शक्तिपुंज हो राष्ट्र के,
चलना ही तुम्हारा काम है,
गति-मति अवरुद्ध न हो,
यही जीवन का आयाम है।

नाकामयाबी की धुंध भले हो,
उम्मीद का दामन थामे रहना,
तू उज्जवल भविष्य है राष्ट्र का,
यह बात ठान तुम आगे बढना।

स्वरचित व मौलिक

नूतन कुमारी
पूर्णियाँ, बिहार

0 Likes
Spread the love
WhatsappTelegramFacebookTwitterInstagramLinkedin
Exit mobile version