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विद्या-दिलीप कुमार गुप्त

विद्या

विद्या अनुपम अद्भुत सम्मान
अन्तस जागृत प्रज्ञा अनुतान
संकीर्ण तिमिर होता विदीर्ण
प्रखर तेजपुंज पाता यशगान ।

विद्या लौकिक जीवन का आधार
संपोषित प्रस्फुटित सद्व्यवहार
आध्यात्मिक उन्नयन का नव द्वार
मनुजता का उत्कृष्ट श्रृंगार ।

विद्या हर्षित मन की लय
पाखंड रहित पावन हिय
वाणी मकरंद मृणाल किसलय
अन्तर्मन सुदीप्ति सम्पूर्ण विजय ।

विद्या निधि शाश्वत सुख की
संजीवनी निस्तेज पाषाण की
शक्ति सतत नव निर्माण की
पौरुष पराक्रम आत्म सम्मान की ।

विद्या संवेदना करूणा की जननी
सुसंस्कार की भक्ति भामिनी
क्षमा दया की विस्तृत अवनि
उज्जवल कल की प्रखर दामिनी ।

विद्या निःसृत आत्मिक तेज
जागृत अस्तित्व सुषमन सेज
दृष्टि पारदर्शी उर महासिंधु
आचार झलक धवल हिम बिंदु ।

विद्या स्रोत परहित साधन
अन्तर्द्वन्द विलुप्त संताप शमन
कुवास कुचेष्टा समूल दहन
व्यक्तित्व ओजस भाव प्रस्फुटण ।

विद्या अभिप्रेरण सद्कर्मो की
निवृत्ति पंच महापापवृति की
शुभकामना जग कल्याण की
अन्तस विग्रह कृपानिधान की ।

विद्या मानवीय गरिमा का सार
गहन चिंतन की अविरल धार
समष्टि चेतना की धवल प्रखरता
कण-कण में विराट की स्वीकार्यता ।

विद्या सिंचन आस्था विश्वास
श्रद्धा प्रेम गुरु भक्ति सत्संग
मुक्ति मार्ग का प्रथम सोपान
आत्म परमात्म का अद्वैत संज्ञान ।

दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी अररिया

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