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विद्यालय बस एक भवन रह गया-अमृता सिंह

विद्यालय बस एक भवन रह गया

सुने विद्यालय की आंगन में निगाहें
ढूंढती रहीं फ़टे कागज के टुकड़े
वो उड़ते जहाज, वो कॉपी के पन्ने
वो कागज की नाव, मेरे बच्चों के सपने
बिना फूलों के कैसा ये चमन हो गया?
मेरा विद्यालय बस एक भवन रह गया।

अब शिकायतों के पुलिंदे आते नही हैं
अब बच्चे शोर मचाते नहीं हैं
अब श्यामपट पर नहीं बदली जाती तारीख़े
कल तक का कक्षा अब कमरा हो गया
ये क्या हो गया? ये क्यों हो गया?
ये रूठा सा खुद से खुद का हीं मन हो गया
मेरा विद्यालय बस एक भवन रह गया।

अब प्रार्थना में कतारे बनती नहीं हैं
अब योग की कक्षा सजती नहीं है
अब छुट्टी पे बच्चों का उछलना मचलना
वो दौड़ लगाना, वो शोर मचाना
सब बीता सा जैसे स्वपन हो गया,
मेरा विद्यालय बस एक भवन रह गया।

अमृता सिंह
नव सृजित प्राथमिक विद्यालय डूमरकोला गौरीपुर चांदन बांका

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