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विलोम शब्द का ज्ञान-विजय सिंह नीलकण्ठ

विलोम शब्द का ज्ञान

एक अच्छा व एक बुरा
दो बंदर है छत पर खड़ा
एक छोटा तो एक बड़ा
हाथ में ले रखा है घड़ा।

चींटी चलती आगे-पीछे
अंबर ऊपर धरती नीचे
गर कोई गलती हो जाए
बच्चे लगते आँखे मीचे।

चाहे नया हो या पुराना
गा दो तुम कोई एक गाना
न चलेगा कोई बहाना
तभी मिलेगा भुना मखाना।

बच्चा होता मोटा पतला
चाहे गोरा हो या काला
हर घर में बच्चे दिखते हैं
ठंड ऋतु में ओढ़े दोशाला।

फल होते हैं खट्टे-मीठे
वाणी होती मधु व तीखे
आम, अनार, अमरूद, सेब के
साथ में रखो सभी पपीते।

घर के बाहर घर के अंदर
बरसात में दिखता साँप-छुछुन्दर
जलस्रोत में सबसे बड़ा समन्दर
एक फिल्म बना है मस्त कलंदर।

चिड़िया गाती सुबह व शाम
लेकर हर-दम प्रभु का नाम
प्रकृति ने बनाई दिन व रात
सबके लिए जो है सौगात।

अज्ञानता से अंधकार तो
ज्ञान से मिलता है प्रकाश
ठंडे पानी से भर गिलास
गरम जल से धोओ लिवास।

छोड़ बुराई करो भलाई
ईश्वर देंगे सुख की मलाई
यह बात एक अटल सत्य है
खान खोलकर सुन लो भाई।

विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम

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