समझ रही है
दुनिया अब
मां की शाश्वत
ममता को
जो अमृत है
जीवनदायी,
उस स्निग्ध सरिता को…
मात्र पोषण का
हेतु नहीं
बढ़कर है इस से
स्तनपान,
वात्सल्य की स्नेह घूँट से
बढ़ता है बल, शौर्य विधान
जननी का
आशीर्वाद प्रथम
जब शिशु ग्रहण कर पाता है
पालने में
अनायास ही
मां मां का कलरव
गाता है!
प्रकृति का अद्भुत
मेल है यह
बालक और उसकी
ममता का
प्रदान सुधा अमृत रस का
जीवन के
नियंता का…
विज्ञान चाहे
जितना आगे
यह मूल ज्ञान
सबसे बढ़कर है
मां! जननी तू ही
जीवनदात्री!
आज गूंजता बस
यह स्वर है!
विकल्प नहीं
इस अमृत का
जीवन का प्रथम
आहार है यह,
पहला आखर
मानवता का,
श्रद्धा यही,
विश्वास है यह!
गिरिधर कुमार
0 Likes