अरिल्ल छंद
चार चरण में 16 16 मात्रा
पदांत 211/122
वापस कर दो सुखी बनाकर।
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बादल छाए नभ के ऊपर।
सोनू मोनू भाग चलो घर।।
मौसम कितना है मनभावन।
फिर से लौट गया है सावन।।
आई है छठ पूजा पावन।
डॅंसंती नभ से बादल नागन।।
पता नहीं होगा अस्ताचल।
देखूॅंगा कैसे उदयाचल।।
नजरें सबकी अटकी नभपर।
भाग्य विधाता दाता दिनकर।।
भाव लिए जो आए निश्छल।
वरदहस्त रख उनपर अविरल।।
मेरी माता का तन निर्बल।
दर्शन की चाहत में विह्वल।।
अर्घ्य लिए है खड़ी घाट पर।
नहीं देखती तुझे वाट पर।।
या तो जल्दी दे दो दर्शन।
या होए माॅं का दिल दर्पण।।
हर्षित कर दो भाव दिखाकर।
वापस कर दो सुखी बनाकर।।
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✍️✍️रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरवेभदौर
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