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वर्षा रानी-रूचिका

Ruchika

वर्षा रानी

वर्षा रानी वर्षा रानी,
कहाँ से लाई इतना पानी,
ताल तलैया पोखरे डूबे,
बताओ न अपनी कहानी।

गर्मी से मन मेरा बेहाल,
कैसे भी नहीं सुधरे हाल,
टिप टिप करके तुम्हारा आना,
बदल दिया है मेरी चाल।

खेतों में फसल सूखती,
भरी दुपहरी हवा रूठती,
तेरे आने से आई बहार,
पेड़ों की डालियाँ झूमती।

तेरे आने से हरियाली आई,
चारों तरफ उमंगें है छाई,
मेढ़क दादुर की आवाज,
देखो कैसी ख़ुशियाँ लाईं।

खेतों में किसान चल पड़े,
संग संग उनके परिवार चल पड़े,
धरती से सोना उपजाने,
हर घर के जवान चल पड़े।

वर्षा रानी तेरा आना,
मन को खुशियों से भर देता।
उमंगें और बहारों के संग
नई आस जगाता है।

वर्षा रानी वर्षा रानी
ये तो तुम बतलाते जाना।
कहाँ से लाई इतना पानी,
ये हाल सुनाते जाना।

रूचिका

राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ

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