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ऐसे होते हैं पापा-अनुपमा अधिकारी

Anupama

पापा

खयालों में भी सबका
खयाल वो हर वक्त रखते
हर दर्द सहकर भी
होठों पर मुस्कान सदा रखते!
ऐसे होते हैं पापा।

परिवार में बड़े वृक्ष के जैसा
सबका ढाल वो बनते
धूप, वर्षा, सर्दी कुछ भी हो
कभी न वो घर पर रहते!
ऐसे होते हैं पापा।

कोई भी विपत्ति हो
हम सबको आभास भी न होने देते
हर दुख को बड़ी सरलता से
खुद ही चुपचाप सह लेते!
ऐसे होते हैं पापा।

आये हमको हल्की खरोच भी
बहुत परेशान वो हो जाते
और अपने बड़े-बड़े जख्मों को
आसानी से नजर अंदाज कर देते!
ऐसे होते हैं पापाा।

खुद फटे-पुराने पहनते
मगर हम सबको नया पहनाते
हम सबको भर पेट खिलाकर
खुद ही भूखे रह जाते!
ऐसे होते हैं पापा।

अनुपमा अधिकारी

किशनगंज बिहार

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