Site icon पद्यपंकज

युवा सन्यासी-अपराजिता कुमारी

युवा सन्यासी

नवयुग, नवभारत की नींव रखने
समग्र विश्व में भारत के धर्म,
दर्शन, अध्यात्म की खुशबू फैलाने
विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाने

कोलकाता में 12 जनवरी 1863 को
श्री विश्वनाथ दत्त, माता भुवनेश्वरी देवी
के घर में जन्मे बौद्धिक,
आध्यात्मिक, धार्मिक संस्कार,
विलक्षण बुद्धि वाले नरेंद्र नाथ दत्ता

गुरु भक्ति, गुरु सेवा, गुरु निष्ठा
सौहार्द, स्नेह, दिव्य आदर्श,
कुशाग्र बुद्धि उत्सुकता से युक्त
सहिष्णुता एवं सर्वधर्म सम्मान
था उनका स्वभाव संस्कार

रामकृष्ण परमहंस के
परम प्रिय शिष्य
गुरु सानिध्य में हुआ
आत्मज्ञान, आत्म साक्षात्कार
भारत भूमि के युवा सन्यासी
नरेंद्रनाथ बने स्वामी विवेकानंद

साहित्य, दर्शन, इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान
योग, राजयोग, ज्ञान योग के रचनाकार
युवाओं को आध्यात्मिक, चिंतन दर्शन से
प्रेरित कर कर्मयोगी बनाते

उनके उच्च विचार,
सांस्कृतिक अनुभव युवा मन पर
अद्भुत छाप, नई ऊर्जा से
आगे बढ़ने की प्रेरणा देते

वह दूसरों के लिए जीना सिखाते
नवयुग निर्माण की बात करते
राष्ट्र निर्माता बन इंसानियत
का धर्म सिखाते

वह कहते ‘रुको न तब तक
जब तक लक्ष्य ना पा जाओ’
‘मन की दुर्बलता दूर करो,
जीवन पथ पर सत्कर्म करो’

आत्मशक्ति को शक्ति का स्रोत बनाओ
सोच से शैतान नहीं, सोच से इंसान बनो
संभव की सीमा जानने को,
असंभव से आगे निकल जाओ

उनकी उत्कृष्टता, जोश, तेज
कर्तव्यपरायणता, कर्मपरायणता
युवाओं में जोश भर देती
हर युग में, हर युवा में आशा
शक्ति का संचार कर देती

शिकागो की धर्म सभा में
अपने संबोधन में ‘मेरे प्यारे भाइयों, बहनों’
का आत्मीय भाव ने भारत को
आध्यात्मिक विश्व गुरु बनाया

शत शत नमन युवाओं के
शक्ति स्रोत, दिव्य आत्मा को
जिन्होंने भारत भूमि में जन्म
लेकर इस भूमि को कृतार्थ किया।

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगरनाथ
प्रखंड- हथुआ
जिला- गोपालगंज

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version