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अग्निपथ के राही- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

 

न  बची  किसी  की   जान   यहाँ,
और   नहीं   सर्वदा    शान   रही।
जो  भी   आया    इस   दुनिया   में,
केवल कर्म ही उसकी पहचान रही।।

न   रहे   अवधपति  श्रीराम    यहाँ,
और न रुक सके द्वारकाधीश प्रवीर।
न   रहे   वीतरागी   गौतम बुद्ध यहाँ,
और न  रुक सके  तीर्थंकर  महावीर।।

सारे जग  में कर्म की बदौलत ही,
इस जग में नाम किसी का होता है।
जो जैसा करता  इस  दुनिया में,
वह भाग्य  भी  वैसा  बोता है।।

न  रहा  कोई  इस   दुनिया में,
न कभी आगे भी रह सकता है।
जीवन में  केवल  एक राम नाम,
जिसे छोड़ नहीं कोई रह सकता है।।

सब  आकर  यही  सपना देखे,
जाऊँ न कभी दुनिया को छोड़।
लेकिन जब  अंत समय आता  तो,
रख देता  काल  दिल  को मरोड़।।

हुई  है हार  हमेशा  मानव  की,
प्रकृति ने सब दिन बाजी मारी है।
उस पर वश है केवल प्रकृति की,
आखिर संसार  उसी की  सारी है।।

अच्छा  कर्म  जग  में   करने   से,
केवल  सद्भाव भरा  जन जीता है।
कर्म कर फल पर अधिकार न तेरा,
यही  हरदम  कहती  गीता  है।।

जरा  प्रेम  कर  सभी   जन  से।
सब   छोड़   यहाँ से   गुजरना है।
केवल धर्म अधर्म के  सहारे   ही,
अग्निपथ का भी  राही  बनना है।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर

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