छंद:-मनहरण घनाक्षरी
(अनंत शिल्पी यहाँ)
विभुतियों का संसार,सितारे हैं मंच पर,
पटल शोभित जहाँ,शब्दों का खेल वहाँ।
उकेरे भावनाओं को, उतारे कल्पनाओं को,
कलम-दवात जहाँ, रचनाकार वहाँ ।
नभ में जितने तारे,प्यारे-प्यारे यहाँ आरे,
कवि की कविता सुन,बंधू जाते हो कहाँ।
सदियों से विश्व धरा,कवियों को पुष्प भरा,
रचनाओं का भंडार,अनंत शिल्पी यहाँ।
एस.के.पूनम (स.शि.) फुलवारी शरीफ,पटना।
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