अहमदाबाद हवाई हादसा
बारह जून दो हजार पच्चीस को ,
फिर कलंकित हुआ जहाँन ।
ड्रीमलाइनर विमान की ,
बची न अपनी शान ।
अहमदाबाद से उड़ान भरते ही ,
गिरा तुरंत विमान ।
धूँ-धूँ कर यह जल उठा ,
न बची हॉस्टल की पहचान ।
देश विदेश के यात्री सभी ,
थे खुश कितने उस दिन !
पर एक ही झटके में ,
सबके कुटुंब हुए गमगीन ।
जीवित बचे यात्री एक ही ,
सौभाग्य था उसके साथ ।
दो सौ पचहत्तर जन मारे गए ,
उन्हें लगा दुर्भाग्य ही हाथ ।
हॉस्टल में डॉक्टर छात्र को,
तनिक भी न था ध्यान ।
इस तरह उनकी जान को ,
लील जाएगा विमान ।
क्या खुशी ; कितनी हँसी ,
थे सब यात्री के साथ ।
कुछ पलों में ऐसी दुर्घटना घटी ,
हो गए राख सब हाथ ।
लंदन की उस उड़ान में ,
सबके जाग रहे थे आस ।
सबके चेहरे पर मुस्कान थी ,
सबके सपने थे भी खास ।
सुखद सपने जो अँगारे बने ,
यह कैसा विधि विधान ?
एक एक जन जल मरे ,
यह कैसा हुआ निधान ?
कैसे खींच गई रेखा दुर्भाग्य की ,
इंजन दोनों हुए फेल ।
लगा दाँव तब जन पर ,
तब बचा न कोई खेल ।
सबके दुर्भाग्य साथ कैसे जुड़े ,
हुई यह अचरज की बात ।
जो चढ़े उस विमान में ,
सब पर लग गई एक ही घात ।
ब्लैक बॉक्स से पता चले ,
अंतिम पल क्या क्या हुआ था खास ।
पायलट को क्या पता चला ,
न जब बचने की थी कोई आस ।
हो न कोई ऐसी दुर्घटना कभी ,
न जान किसी की जाए ।
सुरक्षित सब सफर करें ,
न कोई कभी दुःख पाए ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

