सत्य मार्ग पर चलकर देखो,
अद्भुत सुख को पाओगे।
कभी नहीं तुम विचलित होगे,
और नहीं पछताओगे।।
जलने वाले वहीं रहेंगे,
तुम आगे बढ़ जाओगे।
जल-जल कर वो राख बनेंगे,
तुम शुचिता को पाओगे।।
कर लो पावन अंतर्मन को,
अभयदान को पाओगे।
विषम परिस्थिति में भी प्यारे,
नहीं कभी घबराओगे।।
चित्त करोगे वश में यदि तुम,
परम् तत्त्व को पाओगे।
लेकर हाथ विजय प्रतीक तुम,
आसमान पर छाओगे।।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
‘शिक्षिका’
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर, मुंगेर
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