फूलों की खुशबू
नभ प्रभात की आस
भवरों की गूँजन
संसार का मोह पाश
है तिमिर लौ उस खण्डहर में उभरी
धरती की लाली
अम्बर की रंगत
जुगनु की जगमग
तारती हर संकट
है तिमिर लौ उस खण्डहर में उभरी
अवरोधक प्रलय में
दृढ़ हृदय मंथन
कौतूहल निश्छ्ल
छू कर नभ गगन
है तिमिर लौ उस खण्डहर में उभरी
है प्रयास जो
निर्भय उस जन का
करता नित सृजन
अपने ही मन का
है तिमिर लौ उस खण्डहर में उभरी।
कंचन प्रभा
रा0मध्य विद्यालय गौसाघाट ,दरभंगा
0 Likes