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इंसानियत की शान – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

इंसानियत की शान
इंसान की जान पर ही,
यह  सारा  चमन जहान है।
इंसानियत के शान पर ही ,
यह सकल  जग महान  है।

इंसान को इंसान समझो,
वह  नहीं भगवान  है।
इंसान का  बने रहना इंसान ही,
सच  में यह  बड़ा इम्तिहान  है।

जीवन मे कुछ बड़ा  करने को
तुम यदि  तैयार हो।
तुम हो यहाँ  के  बादशाह ,
तुम सच में बड़े होशियार हो।

अपने लिए जो न्याय नहीं,
दूसरों के लिए भी वह अन्याय है।
अपने लिए जो दुःख समझो,
दूसरों  का भी दुःख समझना न्याय है।

है सच में  यही इंसानियत,
इसी में  बड़ा रसूख है।
यदि मानते हो सुख- दुःख तो,
इसमें  बड़ा ही  सुख  है।

इंसान  की  हर  मर्जी   से,
सब होती नही हर चीज़ है।
कुछ तो प्रभु पर छोड़  दो,
जो सबका  बड़ा अजीज है।

नाते रिश्तों का ख्याल भी,
इंसान   ही  रखते   सदा।
कब धन लोभियों को देखा है,
रखते इंसानियत जिंदा कदा।

जीवन  यदि  कर्म पथ तो
इंसानियत उसका धर्म है।
जहाँ  यह नही होता वहाँ ,
समझो अधर्म ही अधर्म है।

क्या दूसरों की सम्पत्ति पर
अधिकार जताना है सही।
क्या   है  यही   इंसानियत,
जीवंत  होता  है  कहीं।

इंसानियत के शान  पर ही
लहराती  धर्म की  ध्वजा।
इससे इतर सर्वत्र दिखती,
दुष्कर्म  की  मिलती  सजा।

इंसानियत की शान हमेशा,
सर्वत्र  ही   गूँजती   रहे।
यह मानवता की तान है,
जो सर्वदा  खिलती रहे।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा,  जिला- मुजफ्फरपुर

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