जिनसे सीखे सपने बुनने
जिनसे गुनगुनाना सीखा,
अलविदा लता
आपसे हमने
जिंदगी को आजमाना सीखा।
सीखा हमने
मुहब्बत की लौ
कैसे दिल में मचलती है,
कैसे कोई अमन की खुशबू
शमां को रौशन करती है।
वह सुर मात्र नहीं
सिर्फ सुर और ताल नहीं,
एक दिव्यता थी,
एक अतुलनीय अनुभूति थी,
वह नगमे,वे गीत,
सुंदरतम स्तुति थी।
पुराने और नूतन का संगम,
हर धूप छाँव की मेल थी वह,
सच मे वो लता ही थी,
भारत का अनमोल रतन थी वह।
सबका मन रोया आज निश्चय ही,
प्रस्थान सुर कोकिला का यह,
सबका दिल तोड़ा नियति ने,
यूँ जाना,सरस्वती सुता का यह।
अधिक नहीं शब्दों की शक्ति,
यह आँसू अर्पित करता हूँ,
सुर सरिता के महाप्रयाण पर
नमन समर्पित करता हूँ।
-गिरिधर कुमार,शिक्षक,उत्क्रमित मध्य विद्यालय जियामारी, अमदाबाद, कटिहार
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