रूप घनाक्षरी छंद
तूफानों में नाव डोले,
कभी खाए हिचकोले,
धारा बीच माँझी चले, थाम कर पतवार।
अवसर आने पर,
जोर लगा आगे बढ़ें,
मिलता है मौका हमें, जीवन में एक बार।
परिणाम आने तक,
हमेशा कोशिश करें,
कभी घबराना नहीं, जब तुम्हें मिले हार।
उद्देश्य से डिगे बिना,
निशाना जो साधता है,
कभी नहीं खाली जाता, उसका कोई भी वार।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
0 Likes