जीवन में कुछ करना है तो,
मन को मारे मत बैठो।
बनकर दीन–हीन ऐ बंदे,
हाथ पसारे मत बैठो।
माना अगम अगाध सिंधु है,
हार किनारे मत बैठो।
छोड़ शिथिलता बढ़ जा आगे,
आस लगाये मत बैठो।
पाओगे मंजिल को प्यारे,
हिम्मत हारे मत बैठो।
कूद पड़ो अब अंगारों में,
समय गवाये मत बैठो।
राहे कितनी भी मुश्किल हो,
पंगत बन तुम मत बैठो।
करो विश्वास कर्म पर बंदे,
भाग्य भरोसे मत बैठो।
कर्मयोगी बन जा ऐ बंदे,
नजर चुराए मत बैठो।
होगी खुशियाँ तेरे हिस्से,
होश गवाये मत बैठो।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर
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