करले तू उपकार ओ बंदे
करले तू उपकार ओ बंदे,
तेरा जन्म सफल हो जाएगा ।
यह सुंदर तन नश्वर है बन्दे,
एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा।
मानव तन बड़े भाग्य से पाया ,
इसे न व्यर्थ गँवाना तुम ।
दीन- दुखी की सेवा करके,
मानव धर्म निभाना तुम ।
करके दीन की सेवा एक दिन,
सब पुरूषार्थ तू पाएगा।
करले तू उपकार ओ बंदे,
तेरा जीवन सफल हो जाएगा।
मानव का तो धर्म यही है,
सदा हीं पर उपकार करे।
दया, दान करूणा से वह,
दीन दुखियों की पीड़ हरे।
क्या लेकर तू आया बंदे,
और क्या लेकर तू जाएगा।
करले तू उपकार ओ बंदे,
तेरा जन्म सफल हो जाएगा।
परोपकार सा पुण्य न कोई ,
वेद पुराण ये कहता है ।
दीन – दुखी के अन्तर्मन में,
वह परमात्मा रहता है।
भूखे -प्यासे को अन्न- जल देकर
उसका हृदय जुड़ाएगा।
करले तू उपकार ओ बंदे ,
तेरा जन्म सफल हो जाएगा।
लाख चौरासी पार कर आया ,
अब तो नर शुभ- कर्म करो।
सदाचार की राह पकड़ कर,
सच्चे गुरु के चरण धरो ।
गुरु ज्ञान पाकर तुम फिर से,
आवागमन नसाएगा।
करले तू उपकार ओ बंदे,
तेरा जन्म सफल हो जाएगा।
स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका, मध्य विद्यालय सुरीगाँव ,बायसी पूर्णियाँ।

