कलम का सिपाही- मुक्तक
कलम का कोई सिपाही है कहा।
मुफलिसी आटा गिला करता रहा।।
चाँद तारे रौशनी करते रहें।
राय धनपत जुगनुओं को हीं गहा।।०१।।
निर्मला सेवासदन ने कुछ सहा।
गबन सह गोदान सहता हीं रहा।।
और मुंशी की कलम ने दर्द को।
पंच परमेश्वर कहानी में कहा।।०२।।
कफन मंगलसूत्र जैसा भी सहा।
मौन जुल्मों को उगलता भी रहा।
लेखनी को धार देकर जो सदा।
सत्य को बेबाक हो हरपल कहा।।०३।।
कौन जिम्मेदार इसका है कहा।
मुश्किलें आयी मगर लिखता रहा।।
सादगी के साथ अपनी उम्र को।
राय मुंशी कर्ज दुनिया का गहा।।०४।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
सियारामपुर, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क:- 9835232978
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