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कल का सपना – राम किशोर पाठक

कल का सपना

सपनों और अपनों के बीच,
जीवन जीते हम-सब रहते।
साँसों की डोरी को अपने,
पल-पल सदा सँजोते रहते।।

आज सदा है अपना होता,
कोई कल का नहीं ठिकाना।
आने वाले कल को कोई,
अबतक जान नहीं है पाया।।

बीत गया जो वह भी कल है,
बनकर वह कल एक कहानी।
कोई सुंदर उसको कहता,
कोई आँखों में भर पानी।।

चाहे जैसा भी कल होता,
सपना ही इसको सब कहता।
जीवन का यह ऐसा हिस्सा,
सोच हमेशा बनकर रहता।।

आए बीता न कल दुबारा,
आनेवाला बात न सुनता।
अपना बनकर तो हरपल है,
आज संग में अपने रहता।।

आज गुजरकर कल हो जाता,
जीवन का किस्सा बन जाता।
आनेवाला कल भी आकर,
आज बना पल-पल इठलाता।।

छोड़ों कल की बातें अब तो,
जो है आज अभी ही करना।
“पाठक” जीता आज सदा है,
कल के पीछे क्योंकर मरना।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय, कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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