Site icon पद्यपंकज

काब्य लेखन-मेरी हिन्दी – MITHILESH KUMAR

भारत की बिंदी है हिंदी,संस्कार से भरीं हुयी।

देवनागरी लिपि में लिखी -पढ़ी जाती है ये हिन्दी।

अ,आ स्वर है,क से ज्ञ ब्यंजन है,

संयुक्त अक्षर चार है क्ष,त्र,ज्ञ,श्र।

वर्ण को जोड़ शब्द बने, शब्द मिल बने वाक्य।

वाक्य से मेरी कविता बनी,पढ़ो ना भैया एक बार।।

देश की राष्ट्र भाषा है ये हिन्दी समझने में आसान।

लिखे हैं सब अपनी भाषा,पर प्रेमचंद है महान।

दिनकर  की कविता प्यारी, निराला कि है बात नीराली,

स्वामी विवेकानंद कि अजब कहानी।

मधुशाला को क्यों भूल गये हम।

आओ ना मिलकर बोले हिंदी, पढ़ें -लिखे हम हिन्दी में ।

मान बढ़ाये हिन्दी का हम ,शान बढ़ाये भारत का हम।

                                   ।।। ।।।।।।

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version