Site icon पद्यपंकज

क्रिकेट में वह छाया सोना – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

क्रिकेट में वह छाया सोना।


खेल खेलना अच्छा लगता।
खेल नहीं तो जीवन खलता।।

जीवन को हिस्सों में बाॅंटो।
बचपन के हिस्से न काॅंटो।।

छोटा बचपन प्यारा बचपन।
जीवन का यह भी है भटकन।।

इसको जीने का अवसर दो।
छोटा ही तो संवत्सर दो।।

मोबाइल देकर मत मारो।
जितना होए उतना टारो।।

टीवी का होता है हौका।
प्रिय लगता है छक्का चौका।।

वैभव का प्यारा है होना।
क्रिकेट में वह छाया सोना।।

कैसा जीवन सफल बनाया।
कुछ मैंचो में दखल बनाया।।

बच्चो!तुम भी मन को मोड़ो।
व्यर्थ समय से नाता तोड़ो।।


रामपाल प्रसाद सिंह अनजान
मध्य विद्यालय दर्वेभदौर
पंडारक पटना बिहार

1 Likes
Spread the love
Exit mobile version