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खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’


खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना।‌


काले तेरे केस निराले,
जामुन जैसे काले-काले,
फिर से नाम लिखालो दादू,
नंबर एक मिलेगा खाना।
खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना।‌।

पहले पहले साथ चलोगे,
लेकर मेरे हाथ चलोगे,
जो भी पूछे यही बोलना,
मुझको भी है नाम लिखाना।
खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना।‌।

बैठूॅंगा मैं संग बैठना,
बनकर ज्ञानी नहीं ऐंठना,
सबसे मीठे बोल-बोल कर,
देकर ताल ककहरा गाना।
खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना।‌।

हे दादू तू साथी खोजो,
तेरे जैसे दादू जो जो,
अपनी बीती उनसे कहकर,
भारी मन हल्का कर जाना।
खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना।‌।

विद्यालय के मध्य बाग है,
हरियाली में छुपा राग है,
खुशियाली में लोटपोट कर,
प्यार सरोवर में नहलाना।
खुद पढ़कर तू मुझे पढ़ाना।।


रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय डरे भदौर
पंडारक पटना बिहार
7250420250

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