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जीने का अधिकार – मनु कुमारी

(दोहा सृजन)

सभी जीव को है यहां,जीने का अधिकार।
हक उसका मत छीनिए ,करिये केवल प्यार।।

बेटी को यूं कोख में, मत मारो तुम यार।
ईश्वर की वह देन है,करो उसे स्वीकार।।

हिंसा है सबसे बड़ी, इस दुनियां में पाप।
जीने का हक छीनके,मत लो उसका श्राप।।

पशु पंछी हर जीव में, रहता है भगवान।
मत मारो तुम जीव को, मत लो उसकी जान।।

ईश्वर ने जब दे दिया,जीने का अधिकार। फिर क्यों उसको मारकर, पाप करे तू यार।।

पर सेवा सम है नहीं,सुख दुनियां में मीत ।
पर पीड़ा को छोड़ तू,होगी तेरी जीत।।

स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका, मध्य विद्यालय सुरीगाँव, बायसी पूर्णियाँ

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