नन्ही परी आज आई,
घर में खुशियां लाई,
आँगन में किलकारी,गूंज रही सरेआम।
नूतन विचारों संग,
छू ली आसमानी रंग,
श्रम साध्य पूरी कर,जीती जीवन संग्राम।
पाई-पाई जोड़ कर,
माता पिता खुशहाल,
लौट जाती बारातियाँ,कैसा है विराग काम।
दहेज के दवानल,
घात करे मुख खोल,
बेटियों की उठी अर्थी,लोभ का है परिणाम।
एस.के.पूनम(पटना)
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