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दहेज – एस.के.पूनम

S K punam

नन्ही परी आज आई,
घर में खुशियां लाई,
आँगन में किलकारी,गूंज रही सरेआम।

नूतन विचारों संग,
छू ली आसमानी रंग,
श्रम साध्य पूरी कर,जीती जीवन संग्राम।

पाई-पाई जोड़ कर,
माता पिता खुशहाल,
लौट जाती बारातियाँ,कैसा है विराग काम।

दहेज के दवानल,
घात करे मुख खोल,
बेटियों की उठी अर्थी,लोभ का है परिणाम।

एस.के.पूनम(पटना)

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