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दादा जी की शान निराली – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

दादा जी की शान निराली

दादा जी की बात कहूँ क्या ,
लगते कितने प्यारे हैं ।
एक हाथ में छड़ी लिए
वे लगते कितने न्यारे हैं ।

उनका शासन सब पर चलता ,
क्या दादी क्या मम्मी है  ।
उनको खाने का दिल करता
हरदम ही मौसम्मी है ।

हम सब उनके प्यारे हैं ,
वे हम सबको बहलाते हैं ।
बड़े प्रेम से पापा को भी
सही राह बतलाते हैं ।

जब कुछ हम सब गलती करते ,
प्यार की डाँट पिलाते हैं ।
सेब , आम , अमरूद , पपीता ,
हम सबको खूब खिलाते हैं ।

दादा जी हम सबसे कहते ,
तुम्हीं इस घर के चाँद सितारे हो ।
खूब पढ़ो लिखो ; विद्वान बनो ,
तुम्हीं घर के राजदुलारे हो ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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