सेऩाओं की गौरव – गाथा, सबको याद जुबानी हो,
देशभक्ति के रंग – रॅगा अब, हर इक हिंदुस्तानी हो |
हम इस धरती के प्रहरी, भारत मां का सम्मान करें,
अपना तन – मन समय लगाकर हम इसका उत्थान करें,
हर बेटा हो भगत सिंह, बेटी झाँसी की रानी हो |
देशभक्ति के रंग – रॅगा अब, हर इक हिंदुस्तानी हो |
फल – फूलों से भरी धरा हो, हम ऐसा पुरुषार्थ करें,
सुख समृद्धि आ जाए यहाँ, कर्म ऐसे नि:स्वार्थ करें,
अन्न बने अमृत धरती का, बहता निर्मल पानी हो |
देशभक्ति के रंग – रॅगा अब, हर इक हिंदुस्तानी हो |
भारत का हर बच्चा – बच्चा, ज्ञानी और विज्ञानी हो,
दुनिया में परचम लहराए, सबल राष्ट्र निर्माणी हो,
ऐसे करें विकास विश्व में अब इसकी अगुआनी हो |
देशभक्ति के रंग – रॅगा अब, हर इक हिंदुस्तानी हो |
खेल – कूद के लिए हमें, जिस मातृभूमि की गोद मिली,
जिस मिट्टी से पोषण पाकर, जीवन की है कली खिली,
है सौगन्ध उसी मिट्टी की, उसके नाम जवानी हो |
देशभक्ति के रंग – रॅगा अब, हर इक हिंदुस्तानी हो |
सेना के बलिदानों को अब व्यर्थ नहीं जाने देंगे,
दुश्मन के मंसूबों को हम, पार नहीं पाने देंगे,
मिट्टी में मिल जाएगा वह, कितना भी अभिमानी हो |
देशभक्ति के रंग – रॅगा अब, हर इक हिंदुस्तानी हो |
रत्ना प्रिया
शिक्षिका (9 – 10)
उ∙ उ∙ मा∙ वि∙ ,धनपालटोला
पीरपैती (भागलपुर)