मनहरण घनाक्षरी(पहचान है)
राष्ट्र धरोहर कहूँ,
कहूँ चिन्तक साधक,
युवा किया अभिमान,दिलाया सम्मान है।
नरेंद्र झुकाए शीश,
मिला गुरु का आशीष,
वतन करता प्यार,भारत का मान हैं।
भक्ति है शक्ति स्वरूपा,
आँचल का छाँह मिला,
चरण चुमता वत्स,मिला वरदान है।
था डगर वो कठिन,
नहीं हौसला मलिन,
सनातन धर्म दिया,मिला पहचान है।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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