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नववर्ष- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

मानो पुराने वर्ष का ,
सूर्यास्त है अब हो रहा ।
नवोदित नववर्ष यह ,
सूर्योदय -सा अब भा रहा ।

विश्वास का सम्बल समाहित ,
जब ह्रदय में छा गया ।
हम पा गए खुशियाँ अनेक ,
नूतन प्रशस्त जब आ गया ।

नववर्ष के नवारम्भ में ,
खुशियाँ मनाएँ झूम के ।
हर तूफां – हर बला से ,
हम लड़ें नित चूम के ।

होगी हमारी जीत अब ,
नूतन वर्ष में अवधार्य में ।
फूले -फले यह दुनिया सारी ,
नववर्ष के स्वीकार्य में ।

है राह कठिन फिर भी मगर ,
हम रुक नही सकते कहीं ।
नववर्ष के नूतन कलश को ,
छोड़ यूँ सकते नहीं ।

जन -जन में जो प्रीति बोए ,
यह नववर्ष में संकल्प हो ।
हर देश मे ; हर काल मे ,
न मानवता का कोई विकल्प हो ।

रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड -बंदरा (मुज़फ़्फ़रपुर)

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