चंडी की अवतार तू अबला,
जग है तेरे रखवाले।
रुप धारण की आन पड़ी है,
अब तेरे किस्मत उजियारे।।
“धधक रहा ज्वाला मन की”
इसको तुम प्रतिकार करो।
झुको नहीं,रूको नहीं अत्याचार बहिष्कार करो।।
कामयाबी तेरा कदम चुम रहा
इसे परखो जानो तुम।
अधिकार संधर्ष की बात करो
इसे पहचानो छीनों तुम।।
ज़माना तेरा गरल बन गया
घर- घर बात पहुंचाओ तुम।
शक्ति अंदर दफन हो रहा,
हे मातृशक्ति जगाओ तुम।।
जयकृष्ण साहस का धुल बन गया।
मस्तक पर चंदन लगाओ तुम,
दुनियां तेरे मुठ्ठी में होगी।।
इसे कभी भूल न जाओ तुम ।
जयकृष्णा पासवान
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर मेरी स्वरचित कविता सभी माताओं को समर्पित है।
0 Likes