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परिवार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

मनहरण घनाक्षरी छंद
(विश्व परिवार दिवस पर)


दुख में किनारा देता,
जीने का सहारा होता,
हरेक गम का साथी, होता परिवार है।

अभाव, झंझाबातों में,
उलझन की रातों में,
संकटों में सदा होता, जीने का आधार है।

सद्गुण हैं पास आते,
अवगुण दूर जाते,
दुनिया में अपनों का मिले जब प्यार है।

रोज जयकार मिले,
खूब उपहार मिले,
सच्चा हमराही बिना, जीवन बेकार है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर,पटना

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