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पापा – अशोक कुमार

Ashok

पापा जहान है,
जग में महान है।
उनपर मेरा,
सब कुछ कुर्बान है।।

स्वर्ग से भी सुंदर,
पापा मेरी जान हैं।
सारी जिंदगी मेरी,
उनका है कर्जदार।।

सारा दुख सहकर,
मेरा सपना सजाया।
खुद भूखे रहकर,
मुझे खाना खिलाया।।

पापा मेरी चाँद हैं,
हैं मेरा सूरज ।
पलकों पर बैठाकर,
जन्नत का सैर कराया।।

वे परछाई बनकर,
फूलों से कोमल बनाया।
अंगुली पकड़कर उसने,
मुझे चलना सिखाया।।

अशोक कुमार
अनुसूचित जाति प्राथमिक विद्यालय
नुआव कैमूर

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