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पिता- दीपा वर्मा

Deepa verma

जीवन की गाडी के दो पहिए हैं माता पिता।
माता आन हैं,तो घर की शान हैं पिता।
बेटियों के सम्मान हैं ,तो बेटों के आदर्श हैं पिता।
परिवार के मुखिया हैं पिता,
परिवार की दुनिया हैं पिता।
घर के दुख-दर्द को निवारणे वाले,
बच्चों के जीवन को संवारने वाले,
अपने बारे में कभी न सोचने वाले,
एक महान शख्स हैं पिता।
पिता के होने से ही घर में बरकत होती है,
बिना किसी डर के जीवन होती है।
पिता है तो किसी चीज की चिंता नहीं होती ,
हर मांग पूरी होती है,
हर खुशियां नसीब होती है।
हर बच्चों की जान हैं पिता,
उनके पहले अरमान हैं
पिता।

दीपा वर्मा
रा.उ.म.वि.मणिका
मुजफ्फरपुर।

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