पिता समान कोई नहीं जग में
पिता शक्ति है ; पिता भक्ति है ,
पिता ही जीवन का आधार है ।
पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं ,
वह सब संबंधों का आगार है ।।
पिता बोलते कम हैं घर पर ,
पर सब करके वही दिखाते ।
यही उनमें खूबी बहुत ,
हैं वही घर द्वार सजाते ।।
माता की सिंदूर , बिंदी वे ,
उनके जीवन के प्राणाधार हैं ।
घर के सारे स्तंभ की सूरत ,
वही घर के सर्वाधार हैं ।।
पिता ही लाज , इज्जत , पगड़ी हैं ,
कोई पिता समान न दूजा ।
वे ही घर को स्वर्ग बनाते ,
सदा दिल से करो उनकी पूजा ।।
पिता ही घर के आन बान ,
और पिता ही हमारे विधाता ।
पिता सम नहीं कोई दुनिया में,
वही इस घर के भी निर्माता ।।
पिता हैं तब मुख की भी वाणी ,
पिता ही घर के नायक ।
पिता से ही हम सब कुछ बनते ,
सुख दुःख में वही सहायक ।।
घर में सब हों पर पिता नहीं तो ,
फिर कैसा घर है लगता !
उनके बिना यह घर कैसा ,
सारा संसार भी सूना दिखता !।
उनके मान सम्मान की रक्षा में ,
हम तन मन से जुट जाएँ ।
यही हमारे सबल पक्ष हैं ,
हमे यही कर्त्तव्य सिखाएँ।।
पिता के प्रतिरूप होते है बच्चे ,
क्या उनके बिना वंश बढ़ेगा ?
वहीं हैं घर के असली स्वामी ,
क्या उनके बिना कोई शीर्ष चढ़ेगा ?
मैं खुश हूँ बहुत पिता हैं घर में ,
वे मेरे जीवन भाग्य विधाता ।
शौक भी वही पूरे करते हैं ,
जो हर संभव हो पाता ।।
पिता ही खुशियों के हैं खजाने ,
पिता ही जीवन के भी नायक ।
पिता ही हमारे सपनों के प्रदाता ,
न कोई उनके समान सहायक ।।
पिता हैं तो घर की इज्जत भी ,
पिता ही सब आस हमारे।
पिता वचन से कभी मुख न मोड़ें ,
हैं यही घर के चाँद सितारे ।।
पिता की बात जो भी करूँ ,
सब वह छोटी पड़ती जाए ।
उनके समान जग में कोई नहीं ,
जो बच्चों पर सर्वस्व लुटाए ।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

