पत्तियां है हरी-हरी,
वृक्ष लगे जैसे परी,
पेड़ों में झूमते ये -पुष्प अमलतास के।
खुब जब मिले प्यार,
हंसता है परिवार,
परिवेश खुशनुमा, होते आसपास के।
नभ से फुहार गिरे ,
किसानों के दिन फिरे,
खेत खलिहान बिछे, पौधे नर्म घास के।
रिश्ते की डोर “रवि,’
मजबूत होते तभी,
संबंधों के बीज पड़े, आपसी विश्वास के।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि बख्तियारपुर पटना
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