पुस्तक होती ज्ञान दायिनी
सबको राह दिखाती है।
मानव का सच्चा साथी बन
हर पग साथ निभाती है।।
अम्मा बन गाती है लोरी
नानी बन कथा सुनाती है।
सुख दुख जो भी आए पथ में
जीने का हुनर सिखाती है।।
शब्द शब्द बन जाते दीपक
पथ जगमग कर जाती है।
पुस्तक होती ज्ञान दायिनी
सबको राह दिखाती है।।
मत रखना पुस्तक से दूरी
चाहे जो भी हो मजबूरी।
सच होंगे आंखों के सपने
उम्मीदें सब होंगी पूरी।।
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
पुस्तक हमें बताती है।
पुस्तक होती ज्ञान दायिनी
सबको राह दिखाती है।।
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर, बिहार
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