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भारतीय इतिहास में एक
गौरवपूर्ण नाम, थे वह
पृथ्वीराज चौहान
क्षत्रिय, महारथी, परमवीर,
पराक्रमी महान, क्षमाशील
और थे वह परम दयावान
अजमेर के राजा थे पिता
सोमेश्वर चौहान
वीरांगना मां महारानी
कर्पूरादेवी के साहसी संतान
हथियार थे जिनके पराक्रम
साहस, दया, करुणा जिनके श्रृंगार
बाल्य काल से ही थे वह
कुशल योद्धा बलशाली बलवान
युद्ध कला, तलवारबाजी और
प्रिय थे उन्हें तीर कमान
छः भाषाओं का था उन्हें ज्ञान
अनूठे कौशलो में से एक था
चलाते अचूक शब्दभेदी वाण
13 वर्ष की उम्र में अजमेर,
राजगढ़ के सिंहासन पर
पिता के बाद हुए विराजमान,
किला राय पिथौरा का
करवाए थे वह निर्माण
मुहम्मद गौरी को
परास्त कर युद्ध में
उसे माफ कर
दे दिए जीवनदान
जयचंद की गद्दारी से
तराई के मैदान मे लोहा लिए
पर इस बार युद्ध हारे चौहान
मित्र चंदबरदाई संग
युद्ध बंदी बनाए गए
पृथ्वीराज चौहान
बंदी गृह में अमानवीय
दुख दर्द यातनाएं झेलते
आखो को लोहे के गर्म
सरियो से जलाया गया
आखो की रोशनी खो
चुके थे चौहान
मृत्यु से पहले अंतिम इच्छा थी
मित्र चंदबरदाई के शब्दो पर
शब्दभेदी बाण चलाना
मित्र ने दोहे में संदेश दिया
‘चार बांस चौबीस गज,
अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर
सुल्तान है मत चूके चौहान’
‘शाब्बास’ ज्यो बोला मोहम्मद गोरी ने
त्यों चलाए चौहान ने शब्दभेदी बाण
और ले लिए मोहम्मद गौरी के प्राण
मृत्यु को खुद गले लगाया
ले लिया अपने कटार से प्राण
ऐसे थे वीर बलवान महान
पृथ्वीराज चौहान
अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
प्रखंड – हथुआ
जिला – गोपालगंज