प्रकाशपुंज
प्रकाशपुंज हूँ,विश्व को प्रकाशमय करता हूँ।
संसार से अशिक्षा को दूर भगाता हूँ।
समाज से सामाजिक बुराइयों को भगाता हूँ।
जन-जन में शिक्षा का अलख जगाता हूँ।
जीवन के अंधकार को भगाकर उसको प्रकाशित करता हूँ।
प्रकाशपुंज हूँ विश्व को प्रकाशमय करता हूँ।
बाल विवाह,दहेज प्रथा,नशाखोरी से
मुक्ति दिलाता हूँ।
शिक्षा प्राप्त करके राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने का प्रयास करता हूँ।
रोजगार करके अपना जीवन निर्वाह की बात बताता हूँ।
समाज को अंधविश्वास से मुक्त करने का प्रयास करता हूँ।
प्रकाशपुंज हूँ विश्व को प्रकाशमय करता हूँ।
विश्व के हर क्षेत्र के विकास की बात
बताता हूँ।
नवनिर्माण के लिये नयी तकनीक की
खोज करता हूँ।
मिट्टी से भी सोना उपजाने की तकनीक बताता हूँ।
पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के
तरीके बताता हूँ।
बच्चों के शैक्षणिक,आर्थिक,विकास
की बात करता हूँ।
निरक्षरों को साक्षर बनाने का काम करता हूँ।
प्रकाशपुंज हूँ,विश्व को प्रकाशमय
बनाता हूँ।
सारी समस्याओ को जड़ से मिटाने का प्रयास करता हूँ।
लोगों का मनोगत्यात्मक विकास
करने की तरकीब अपनाता हूँ।
शिक्षा प्राप्त करने की ओर लोगों में रूचि पैदा करता हूँ ।
जीवन की ऊंची बुलंदियों को छूने की
तरकीब बताता हूँ।
प्रकाशपुंज हूँ,विश्व को प्रकाशमय बनाता हूँ।
शिक्षा प्राप्त कर स्वरोजगार की बात
सिखाता हूँ।
अपने अधिकार तथा कर्तव्य ज्ञान का
बोध कराता हूँ।
लोगों के चहुंमुखी विकास की बात
बताता हूँ।
जन-जन को उनके अधिकारों के प्रति
जागरूक करता हूँ।
शिक्षा के महत्व की बात बताता हूँ।
प्रकाशपुंज हूँ,विश्व को प्रकाशमय बनाता हूँ।
श्री विमल कुमार”विनोद”
प्रभारी प्रधानाध्यापक
राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,
बाँका(बिहार)।